श्री राम (रामचन्द्र), प्राचीन भारत में अवतरित, भगवान हैं। हिन्दू धर्म में, श्री राम, श्री विष्णु के 10 अवतारों में से सातवें अवतार हैं। “रामायण” नामक ग्रंथ में भगवान श्री राम के विषय में पूर्ण जानकारी दी गई है। भगवान श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। खास तौर पर उत्तर भारत में श्री राम बहुत अधिक पूजनीय हैं।
भगवान श्री राम का अवतार कब हुआ था।
भगवान श्री राम ईसा पूर्व 5114 में अवतरित हुए थे। अगर आज से हिसाब लगाया जाये तो 5114+2023=7137 दिव्य साल पहले भगवान श्रीराम अवतरित हुए थे। यह शोध महार्षि वाल्मीकि की रामायण में उल्लेखित उनके जन्म के आधार पर किया गया है. भगवान श्री राम पर यह शोध वैज्ञानिक संस्था “आई” ने किया है। इस शोध में मुख्य भूमिका अशोक भटनागर, कुलभूषण मिश्र और सरोज बाला ने निभाई है। इनके अनुसार 10 जनवरी 5114 को भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। हालांकि कुछ शोधकर्ता मानते हैं कि भगवान श्रीराम का अवतार 7330 ईसा पूर्व हुआ था।
भगवान श्रीराम जी का जन्म अयोध्या के राजा के घर में हुआ था। उनकी माता का नाम कौशल्या और पिता का नाम दशरथ था। भगवान श्री राम के तीन भाई थे:- भरत, शत्रुघ्न और लक्ष्मण। भगवान श्रीराम जी के गुरु का नाम वशिष्ठ था। उनका विवाह माता सीता के साथ हुआ था। भगवान श्रीराम और सीता जी की जोड़ी को आज भी एक आदर्श जोड़ी माना जाता है। भगवान श्रीराम जी के दो पुत्र थे:- लव और कुश। श्रीहनुमान, भगवान श्रीराम के, सबसे बड़े भक्त माने जाते है।
श्री राम और उनके तीनो भाई श्रीभरत , श्रीलक्ष्मण और श्रीशत्रुघ्न ने गुरु वशिष्ट के गुरुकुल में शिक्षा पाई। चारो भाई वेदों उपनिषदों के बहूत बड़े ज्ञाता बन गये। गुरुकुल में अच्छे मानवीय और सामाजिक गुणों का उनमे संचार हुआ। अपने अच्छे गुणों और ज्ञान प्राप्ति की ललक से वे सभी अपने गुरुओ के प्रिय बन गये।
हिन्दू मान्यता के अनुसार विष्णु जी ने श्रीराम अवतार अन्यायी एवं दुष्ट राक्षस राजा रावण को खत्म करने के लिए लिया था। श्री राम अवतार में विष्णु जी ने विश्व पुत्र, भाई, पति और मित्र के गुणों को सामने रखा। श्री राम जी ने अपने पिता के कहने पर 14 वर्ष का वनवास काटा तथा अपनी मित्रता का संदेश देते हुए बाली की हत्या कर सुग्रीव का राज-पाठ उसे वापस दिलाया।
भगवान श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहा जाता है। श्री राम ने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता पिता, यहाँ तक की पत्नी का भी साथ छोड़ा। इनका परिवार आदर्श भारतीय परिवार का प्रतिनिधित्व करता है। श्री राम रघुकुल में अवतरित थे, जिसकी परंपरा प्राण जाए पर वचन ना जाये की थी। पिता दशरथ ने सौतेली माता कैकेयी को वचन दिया था, उसकी 2 इच्छा ( वर) पुरे करने का। कैकेयी ने इन वर के रूप में अपने पुत्र भरत को अयोध्या का राजा और श्री राम के लिए 14 वर्ष का वनवास माँगा। पिता के वचन की रक्षा के लिए श्री राम ने खुशी से 14 वर्ष का वनवास स्वीकार किया। पत्नी सीता ने आदर्शपत्नी का उदहारण पेश करते हुए पति के साथ वन जाना पसंद किया। सौतेला भाई लक्ष्मण ने भी भाई का साथ दिया। भरत ने न्याय के लिए माता का आदेश ठुकराया और बड़े भाई श्री राम के पास वन जाकर उनकी चरणपादुका( चप्पल) ले आए। फिर इसे ही राज गद्दी पर रख कर राजकाज किया। श्री राम की पत्नी सीता को रावण हरण(चुरा) कर ले गया। श्री राम ने उस समय की एक जनजाति वानर के लोगो की मदद से सीता को ढूंढा। समुद्र में पुल बना कर रावण के साथ युद्ध किया। उसे मार कर सीता को वापस लाये। जंगल में श्री राम को हनुमान जैसा दोस्त और भक्त मिला जिसने श्री राम के सारे कार्य पूरे कराये। श्री राम के आयोध्या लौटने पर भरत ने राज्य उनको ही सौंप दिया। श्री राम न्याय प्रिय थे। बहुत अच्छा शासन् किया इसलिए आज भी अच्छे शासन को रामराज्य की उपमा देते हैं। हिन्दू धर्म के कई त्यौंहार, जैसे दशहरा और दीपावली, श्री राम की जीवन–कथा से जुड़े हुए हैं। रामनवमी का पावन पर्व श्री राम के जन्म उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
भगवान श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहा जाता है। माना जाता है कि भगवान श्री राम ने हर काम एक मर्यादा में रहकर किया। फिर चाहे बिना किसी प्रश्न के अपने माता पिता की आज्ञा का पालन करना हो या फिर वन में सीता हरण के बाद रावण का वध। रावण की मृत्यु के बाद भी उन्होंने अपने दुश्मन से बैर नहीं रखा बल्कि अपने भाई को रावण के पास शिक्षा लेने के लिए भेजा। भगवान श्री राम का चरित्र हमें माता- पिता की सेवा करना उनकी आज्ञा का पालन करना सिखाता है। भगवान श्री राम के बारे में महर्षि वाल्मीकि द्वारा अनेक कथाएं लिखी गई हैं। वाल्मीकि के अलावा प्रसिद्ध महाकवि तुलसीदास ने भी श्री राम के महत्व को लोगों को समझाया है। भगवान राम ने कई ऐसे महान कार्य किए हैं जिसने हिन्दू धर्म को एक गौरवमयी इतिहास प्रदान किया है।
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